भारत युगों युगों से सन्त महत्माओं की पवित्र भूमि रहा है इस भूमि पर अनेक धर्मों का जन्म हुआ है इतिहास गवाह है भारत में आज भी लोग आध्यात्मिक खोज में यहां आते है। इस भारत की धरती पर बौद्ध धर्म के बहुत पवित्र स्थान है उसमें से एक स्थान है ‘’सारनाथ’’ जो वाराणसी/बनारस में है।
बौद्धों का बहुत प्राचीन तीर्थ स्थल जो काशी से लगभग 10 किमी0 दूर उत्तर पूर्व में सारनाथ स्थित है विश्व पर्यटन में सारनाथ का नाम होने के कारण यहां रोज बहुत ही संख्या में विश्व के विभिन्न देशों से यहां हजारो पर्यटक आते है। भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त करने के बाद प्रथम उपदेश यहां सारनाथ में दिया था और यहां से धर्मचक्र प्रवर्तन शुरू किया था।
बौद्ध धर्म को जो मानने वाले है या अनुयायी है इस सारनाथ के प्रति अपनी बहुत बड़ी श्रद्धा रखते है। इतिहास इस बात का गवाह है कि बुद्ध की तपोस्थली सारनाथ प्राचीन काल से बौद्ध धर्म को आगे बढ़ाने का मुख्य केन्द्र रहा है सारनाथ जहां भगवान बुद्ध ने भिक्षुओं को अपना प्रथम उपदेश दिया था और बौद्ध धर्म की शुरूवात इसी स्थान से हुई है उसी स्थान पर सम्राट अशोक ने एक स्तूप निर्माण किया उस स्तूप को धम्मेक सतूप कहते है।
यहां का पविदा सौन्दर्य चौखड़ स्तूप, चाइनिज मन्दिर, संग्राहलय भारत सरकार ने जिस चतुर्मुखी सिंह को राष्ट्रीय चिन्ह को लिया गया है वो यही है। यहां एक गुम्बद विहार है जिसमें भगवान बुद्ध की सुनहरी मूर्ति है और सम्राट अशोक ने इस पवित्र भूमि पर सारनाथ में कई स्तूप और एक भव्य सुन्दर स्तम्भ स्थापित किया इसी स्तम्भ का सिंह शीर्ष भारत का राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में स्थापित किया गया है। सम्राट अशोक ने विश्व के अनेक देशों में बौद्ध धर्म का प्रचार किया सारनाथ का प्रशान्त पवित्र स्मृतियों से युक्त वातावरण है प्राचीन समय में यह जंगल था जिसमें बहुत सारे मृग रहते थे और ऋषी मुनी साथ रहते थे।