अठारहवीं सदी का एक शासक था जिसको ‘ मैसूर का शेर ‘ के नाम से जाना जाता था और टीपू सुल्तान के नाम से भी जाना जाता था पूरा नाम – सुल्तान फ़तेह अली खान साहब। जन्म -20 नवंबर १७५०। जन्मस्थान – युसूफाबाद [कर्नाटक ] . पिता का नाम – हैदर अली। माता का नाम – फतीम फकरूनिशा था।
आज हम इनकी तलवार के बारे में जानेगे जो टीपू सुल्तान की विश्वविख्यात थी। जो आज भी इंग्लैंड के संग्रहालयों की बहुमूल्य संपत्ति है और इंग्लैंड में इन तलवारों के लिए भारत का आज भी नाम है। टीपू सुलतान ने सन 1799 तक मैसूर पर शासन किया और इन्हीं तलवारों से अंग्रेजों से चार लड़ाईया लड़ी आखिर टीपू सुल्तान की तलवार इतनी खास क्यों थीं।
इन तलवारों को बनाने में कार्बन की ज्यादा मात्रा वाली बुट्ज नामक स्टील से बनती थी और बुट्ज स्टील किस प्रकार बनाया जाता था। ये प्रगलन भट्टियों में लोहे को लकड़ी के कोयले के साथ मिलाकर मिट्टी के छोटे -छोटे हांडियों में रख दिया जाता था। और भट्टियों ंमें लगातार आग जलाकर एक संतुलित तापमान दिया जाता था उसके प्रगलक इस्पात की सिलियाँ बना लेते थे।
इस तरह से तैयार होने बुट्ज स्टील को पूरे दक्षिण भारत में बनाया जाता था। इन बुट्ज स्टील से टीपू सुल्तान की तलवारें भी बनीं थी। दरअसल , इस तलवार की धार इतनी तेज होती थी और इतनी सख़्त होती थी कि वह दुश्मन जो लोहे का कवच पहनते थे उसको आसानी से चीर सकती थीं। टीपू सुल्तान की मूठ पर कुरान की आयतें लिखी होती थीं जिसमें युद्ध के फ़तेह के सन्देश अंकित थे। तलवार को गौर से देखने पर शेर का सिर मूठ के निचले हिस्से की तरफ है।
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