कुतुब मीनार जो कि एक ऐतिहासिक इमारतों में से एक है इसकी नीव मुगल वंश के प्रसिद्ध शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने रखी थी | यह कुतुब मीनार दिल्ली के महरौली इलाके में स्थित है|
यह कुतुब मीनार दिल्ली सल्तनत कालीन स्थापत्य कला की ऐतिहासिक इमारतों में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में स्वीकृत किया है | कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली के महरौली में कुतुब मीनार को बनवाना शुरू किया था | परंतु अचानक पोलो खेलते समय घोड़े से गिरकर अचानक 1210 ई o में उनकी मृत्यु हो गई उसके बाद कुतुबुद्दीन ऐबक के पुत्र आरामशाह ने इस कार्य को आगे बढ़ाया लेकिन वह एक अयोग्य शासक सिद्ध हुआ
इसके बाद दास वंश के राज सिंहासन पर कुतुबुद्दीन ऐबक का दमाद समसुद्दीन इल्तुतमिश ने सुल्तान बनकर इस भव्य इमारत कुतुब मीनार का निर्माण का कार्य सम्पूर्ण किया | कुतुब मीनार का व्यास लगभग 14.5मीटर है जो ऊपर की तरफ क्रमश कम होता गया है |
कुतुब मीनार की पहली मंजिल लगभग 94 फीट ऊंची दूसरी मंजिल लगभग 52 फीट ऊंची तीसरी मंजिल लगभग 41 फीट ऊंची चौथी मंजिल लगभग 25 फीट ऊंची और पांचवी मंजिल लगभग 25 फीट पहुंची है कुतुब मीनार का टॉप लगभग 2.7 मीटर है | इस मीनार में 376 सीढ़ियां चढ़कर ऊपर जाया जा सकता है कुतुब मीनार की ऊंचाई लगभग 238 फीट है |
कुतुब मीनार के पास कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद है जिसको कुतुबी मस्जिद भी कहा जाता है यह एक चबूतरे पर बनाई गई है | इसमें हिंदू तथा जैन मंदिरों की सामग्री का प्रयोग किया गया था कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद भारत में मुस्लिम शसको द्वारा निर्मित प्रथम इमारत है इस मस्जिद का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा सन 1194 में शुरू करके सन 1199 ई में पूर्ण की गयी थी |
कुतुब मीनार एक मुस्लिम संत कुतुबुददीन के नाम पर “कुतुबमीनार” कहलाती है | इस मीनार की नींव को मजबूत बनाने के लिए चुना और कंक्रीट का ज्यादा मात्रा में प्रयोग किया गया है और लाल पत्थरों और मार्बल से इसका निर्माण किया गया है |
कुतुब मीनार के पास एक 7 मीटर ऊंचा लौह स्तंभ है या स्तंभ पर किसी चंद्र नामक नरेश की कीर्ति लिखी है लोगों का ऐसा मानना है | कि इस स्तंभ मे पीठ लगाकर पकड़ने से मनोकामना पूरी होती हैं चंद्र के प्रश्न पर विद्वानों में मतभेद रहा है लेकिन कुछ विद्वान इसकी पहचान चंद्रगुप्त द्वितीय से करते हैं आयरन पिलर खुले आसमान के नीचे बारिश गर्मी सर्दी में खुले आसमान के नीचे कितने सालो से खड़ा है इतना पुराना होने के बाद भी इसमें जंग नहीं लगी है |
यहां की यात्रा करने के लिए
नई दिल्ली या पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उतरे उसके बाद दिल्ली मेट्रो से महरौली के नजदीक कुतुब मीनार मेट्रो स्टेशन
यह रोज खुला रहता है
सुबह से लेकर शाम तक
प्रवेश शुल्क लगता है
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